मैडम ! मेरे बच्चे को कोरोना वायरस तो नहीं..., संक्रमण से घबराईं गर्भवती माताएं, घर ही बने मेटरनिटी होम
मैडम ! बहुत डर लग रहा है, दिल घबरा रहा है कि कहीं मेरे बच्चे को कोरोना तो नहीं हो गया? क्या गर्भ में रहने वाले बच्चे को भी कोरोना हो सकता है? मैडम कहीं ऐसा तो नहीं कि जन्म लेने के बाद खुली हवा में आते ही मेरे बच्चे को कोरोना हो जाए? जब बच्चे को उसकी दादी, पापा छुएं तो कोरोना हो जाए? मेरे बच्चे को मैं खुद भी छू सकूंगी या नहीं। कहीं मेरे छूने से या स्तनपान से तो बच्चे को कोरोना नहीं हो जाएगा?  
 

शास्त्रीनगर की रहने वाली 28 वर्षीय ज्योति पहली बार मां बन रही है। पिछले 10 दिनों से ज्योति हर रोज अपने चिकित्सक से यही पूछती है कि वह संक्रमण के इस माहौल में अपने शिशु को छू भी सकेेगी या नहीं। उसके बच्चे को संक्रमण का खतरा तो नहीं।

ज्योति की तरह शहर की तमाम गर्भवती और प्रसुताएं इस समय ऐसी नाज़ुक मानसिक स्तिथि से गुज़र रहीं हैं। उन्हें डर है कि उनके बच्चे को जन्म से पहले या जन्म लेते ही कोरोना न हो जाए। माताओं के साथ परिजनों में भी यही भय है कि आने वाला शिशु स्वस्थ व सुरक्षित है या नहीं।  

 



अस्पताल खाली, घर पर रहने की सलाह 
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मेटरनिटी होम्स में गर्भवती महिलाओं व प्रसूताओं की संख्या भी 70 फीसद घट गई है। चिकित्सक केवल प्रसव वाली माताओं को ही अस्पतालों में रख रहे हैं। अन्यथा सभी महिलाओं को घर पर ही रहकर विश्राम करने की सलाह दे रहे हैं।

20 अस्पताल वाले एक मेटरनिटी होम की बात करें तो  इनमें जहां आम दिनों में 17 से 18 बेड भरे रहते थे। वही पिछले एक सप्ताह से केवल दो या तीन अधिकतम पांच मरीज है अन्यथा सभी मरीजों को चिकित्सकों ने घर पर ही भेज दिया है। 

आम दिनों में जहां महिला को जरा सी परेशानी मे भी परिजन व चिकित्सक स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से भर्ती करा देते थे। वहीं अब जिनके प्रसव दो दिन बाद हैं उनको भी घर पर रहने की सलाह दी जा रही है। आपातकाल में ही प्रसुता माताओं को अस्पताल में रख रहे हैं। प्रसव बाद भी जल्द घर भेज रहे हैं।

घर है अधिक सुरक्षित, दें अच्छा माहौल 
इस माहौल में महिलाओं के लिए घर ही सबसे बेहतरीन स्थान है। चाहे प्रसूता हो या गर्भवती महिला, उन्हें घर पर रखना ज्यादा अच्छा है। केवल प्रसव के लिए ही अस्पताल लेकर जाएं। घर पर रहने से संक्रमण का खतरा 98 फीसद तक कम हो जाता है। वहीं इस माहौल में महिला को अधिक प्यार, सांत्वना और अपनेपन की जरूरत है, जो माहौल उसे घर पर ही मिल सकता है। आपातकाल या अधिक आवश्यकता पर ही उन्हें अस्पताल में रहने दें।